दो लोग अपने प्यारे घोड़े पर बैठ कर अपने गॉव जा रहे थे, तभी उनको एक नदी दिखाई दी| नदी में पानी का बहाव तेज़ था और जाना उस पार था, बाढ़ की वजह से पानी भी चढ़ा हुआ था| दोनों को एक छोटी सी नाव दिखाई दी, वहीँ दो बड़े बड़े पतवार भी थे| उन्होंने विमर्श किया, छोटी नाव में घोड़ा नहीं आ पाएगा पर वो दोनों बैठ जायेंगे, क्योंकि घोड़े को तैरना आता है, पर बहाव की वजह से कहीं बह ना जाए इसलिए उसकी लगाम नाव में बाँध देंगे।
नदी के मगरमच्छ ने देख लिया घोड़े को उतरते हुए, पर पतवार देख कर पास आने की हिम्मत नहीं जुटा पाया| उसने जुगत लगाया - देखो दोनों इंसानो को, कितना बुरा व्यवहार मेरे जैसे जानवरों पर करते हैं, बेचारे घोड़े को बाँध कर पानी के बहाव के विपरीत दिशा में खींच के ले जा रहे हैं| अगर लगाम हटा दें तो घोड़ा अपने आप ही पानी के सहारे जल्दी से किनारे पर आ जायेगा, ये इंसान बस केवल अपने गांव जाना चाहते हैं, चाहे घोड़े को कितना ही कष्ट हो जाए|
घोड़ा सोच में पड़ गया, बात तो मगरमच्छ ने सही कही है, लगाम की वजह से मैं आज़ादी के साथ तैर नहीं पा रहा हूँ| तभी एक छोटी मछली ने घोड़े से कहा - इस मगरमच्छ ने इस नदी की सारी मछलियों को खा लिया है, मैं भी सोचती हूँ, मगर के साथ एक नदी से तो अच्छा था लगाम के साथ इंसानो के साथ रहती| तभी एक भीगा भीगा तोता घोड़े के पीठ पर आ कर बैठ गया - अरे मैं अभी इंसानो की क़ैद से छूट कर आया हूँ, अब तो मेरी हालत ये है की मैं कायदे से उड़ भी नहीं पा रहा हूँ, काश मैं मछली होता तो कम से कम मुझे पानी से डर तो न लगता
,मगरमच्छ घोड़े के साथ उसको परामर्श देने वाले दो और जानवरो को देख कर पीछा करना छोड़ दिया और दूर चला गया, उसको दूर जाता देख, मछली जल्दी से अपने खोह में चली गयी, और तोते ने इंसानो को इतने पास देख कर उड़ कर पेड़ में बैठ गया| तब तक किनारा भी आ चुका था|
Tuesday, March 29, 2022
इस बार एक कहानी
Posted by Ashish at 1:07 PM 0 comments
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