Wednesday, January 17, 2018

डॉ कुमार विश्वास को मेरा शायराना जवाब

डॉ कुमार विश्वास ने लिखा:
ग़म में हूँ या हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं,
मैं खुद को भी याद मुझे खुद पता नहीं.
मैं तुझको चाहता हूँ मगर माँगता नहीं,
मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं !

मेरा जवाब:
बंद थी तेरी आँख, तुझे अब पता तो है, 
खाली रही फ़रियाद, तुझे अब पता तो है, 
कहीं सांप तो कहीं खंज़र थे आस्तीनों में, 
काज़ी ही था जल्लाद, तुझे अब पता तो है| 

Thursday, January 04, 2018

एक और सुनो

एक टुकड़ा था रोटी का जो मुँह में जाना था,
गिर गया किसी के हाथ से जो उसको खाना था |
अब झाडू से डरता हूँ, कूड़ा जो दिखता हूँ अब,
क्या याद किसी को होगा मैं गेहूँ का दाना था?