Friday, November 01, 2019

एक सुनो दिल्ली के धुएँ पर


किस कम्बख्त ने धुऐं को बुरा कहा?
दिल सुलगता है, फेफड़े जलते हैं, तब कहीं उठता है|
इन गाड़ियों खेतों पर मत जाना,
इंसानी फितरत है, चाह जीने की, पर खुद ही मिटता है|