सब रोते हैं तुम्हारे जाने के बाद
छुप छुप कर, मैं भी 
फूट ना पड़ें, इसलिए बात नहीं करते 
पापा भी रोते थे, छुप छुप कर 
कभी सामने नहीं 
अब पापा भी नहीं हैं 
मिली होगी ना?
क्या कहते हो एक दुसरे से?
गुस्सा करती हो? अभी भी?
मुझ पर क्यों नहीं किया?
मतलबी क्यों नहीं थी तुम?
मेरी तरह, छुप छुप कर?
Thursday, September 19, 2024
चिट्ठी जिज्जी को
Posted by
Ashish
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8:21 PM
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Labels: personal
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