Friday, November 28, 2014

Dr Kumar Vishwas ke ek sher ka mera jawab

डॉ कुमार विश्वास ने ट्वीट पर ये शायरी लिखी -
शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त दुश्मन हो गए,
सभी यहीं रह जाएंगी मैं साथ क्या ले जाऊंगा?

मेरा जवाब भी सुन लें -
साथ कुछ न जायेगा, शोहरत रहे या न रहे।
कम से कम रहने से उसके इक छाप तो रह जाएगी।


Thursday, November 13, 2014

लीजिये इक और शेर

चाँद को घर पे सजा देंगे इक़रार था जिनका,
ज़मीं से बस अब्र दिखा देना चुभे है जैसे नश्तर।
हम तो अंधेरों के एक बाशिंदे थे,
खुश हो जाते ग़र दिखा देते इक चमकता अख़्तर॥


Monday, November 10, 2014

एक और सुनो

कुछ ख़ास अब ये ग़म नहीं,
दुश्मन हमारे बढ़ गए।
इस बात की है फ़िक्र बस,
कुछ दोस्त क्यों गर कम हुए?