Monday, March 28, 2016

सुन लो

हमने छिपाए थे अपने ग़म, तुमने छिपाई थी अपनी ख़ुशी। 
फ़र्क़ इतना झूठ का - आँसुओं में धुली थी मेरी हंसी॥


Wednesday, March 16, 2016

इक और उत्तर

किसी ने लिखा है-
अंधेरे चीर के जुगनू निकालने का हुनर.. बहुत कठिन है मगर तू निकाल लेता है !

तो मेरा भी सुनें -
सुनो ऐ धूप में आँख जलाने वालों  -
इक अँधेरा ही है जो रौशनी छिपाने देता है।