इतना ग़ुम हूँ कुछ यादों में यादें याद नहीं रहतीं,
रोने के बाद भी देखो चीखें फरियाद नहीं बनतीं।
सुनाऊँ किसको मैं ये दर्द सभी आँसू में भीगे हैं,
हमारी चुप्पियाँ भी तो कोई बुनियाद नहीं बनतीं।
रोने के बाद भी देखो चीखें फरियाद नहीं बनतीं।
सुनाऊँ किसको मैं ये दर्द सभी आँसू में भीगे हैं,
हमारी चुप्पियाँ भी तो कोई बुनियाद नहीं बनतीं।