Thursday, November 30, 2017

इक और सुन लो

हर राह पर मिलते हैं मुझसे जलने वाले,
इसी तपिश से निखर के आना है,
बहुत हैं आस पास अपने, खंज़र लिए हुए,
इक दौर है शायद, गुज़र के जाना है ||


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