तुम्हारी दौर में हूँ, इसलिए ग़ुमनाम हूँ यूँ बस,
कुछ लोग तब भी हैं, जिन्हें मैं याद आता हूँ
तुम्हारे नाम के जलसे लगा करते हों शहरों में,
मैं हूँ जो क़स्बों में बुलावे बाँट आता हूँ
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तुम्हारी दौर में हूँ, इसलिए ग़ुमनाम हूँ यूँ बस,
कुछ लोग तब भी हैं, जिन्हें मैं याद आता हूँ
तुम्हारे नाम के जलसे लगा करते हों शहरों में,
मैं हूँ जो क़स्बों में बुलावे बाँट आता हूँ