Thursday, May 19, 2022

एक और सुनो


खुदा के नाम पर हमें लूटते रहे
ज़र्रे ज़र्रे में था, हम बस ढूंढते रहे 

बिछायी ज़िन्दगी यूँ कि हम फैलते दिखें,
सिमट से रह गए हैं वक़्त, हम बस रूठते रहे