Sunday, November 15, 2009

The clouds from above


मैं क्या कहूँ इन बादलों को देख कर यूँ अब?
लगें नीचे से नम आँखें और ऊपर से मेरे सपने।
सुनहरे सुर्ख फूलों कि ये लम्बी नर्म सी चादर,
बिछी इक छाओं सी ऊपर चाहे ये हमे ढंकने।
या शायद है ये इक नदिया बहे जो यूँ तूफानी सी,
और पानी हैं मेरे सपने जो बादल बन सदा बरसें।

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