Thursday, March 31, 2011

इक और लिखा, सुनो

इक ज़माना था जब हम भी जवाँ होते थे,
अब तो बीते हुए बस कल की याद करते हैं।
मुस्कराते हैं वो सोच कर जो न हुआ हमसे,
जो किया भी, अब बस यादों में कैद रहते हैं।

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