Monday, May 07, 2012

एक शेर अन्ना और रामदेव पर

सभी हैं चोर जो हैं चुन के आये कहना गलत होगा, 
अगर सिर्फ एक अच्छा है हजारों में, तो क्या तुझको गर्व ही होगा?
सदन का मान जो ऊंचा धरम से भी जो होना था,
अगर कुछ लोग ही रख पाते तेरा क्या भ्रम नहीं होगा?
अगर हम आज अपना देश इनको बेच देते हैं,
अगर हम इक सहारे आँख अपना मूँद लेते हैं,
अपना हक भी मिलता हो जो सब अपना लुटा कर जो,
अपने देश में ही लुट रहे, बड़ा अब शर्म क्या होगा?
उठो अब जाग जाओ साथ तेरे है कोई अपना, 
सुनो तुम भी जिन्होंने दशको से है ये फैला रक्खा,
"हरे थे शत्रु पहले से औ भगवा ने किया है क़त्ल गाँधी का" -
अब इक है गाँधी की टोपी में तो पहना दूसरा जोगा।

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