Wednesday, May 30, 2012

कुछ भूला भूला रहता हूँ


क्यूँ बिछड़ा हुआ सा रहता हूँ?
क्यूँ भूला भूला रहता हूँ?
ये क्या हुआ मुझमें है जो,
मैं रूठा रूठा रहता हूँ?

न कल की थी फ़िक्र मुझमे,
न सोचा क्या है आगे ही,
हाँ बिठा लिया जो गुज़रा साथ,
यादों से तरसा तरसा हूँ,
मैं रूठा रूठा रहता हूँ |

जो पाया था वो छोड़ा हूँ,
जो मिला नहीं वो खोया हूँ,
बस लपटों की आग़ोश में हूँ,
कुछ जला भुना सा रहता हूँ,
मैं रूठा रूठा रहता हूँ |

तुम रोकोगे तो क्या दोगे?
जो पाया है वो खो दोगे,
मैं उड़ता हुआ एक पंछी हूँ,
इस डाल पे हूँ उस डाल पे हूँ,
बस भूला भूला रहता हूँ,
कुछ बिछड़ा हुआ सा रहता हूँ |

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