Tuesday, September 15, 2015

मेरा एक और उत्तर कुमार विश्वास को

कुमार विश्वास ने ट्वीट किया:
"तुम से बेहतर तो नहीं हैं ये नज़ारे लेकिन , तुम ज़रा आँख से निकलो तो इन्हें भी देखूँ"

तो मैंने भी उत्तर दिया:
संभल कर चलना ज़रा, आँख के आंसू से ग़म फिसलते हैं।
या तुम वो चले जो बंद आँखों से रस्ता ढूंढ लेते हैं ॥


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