Wednesday, June 18, 2025

अब लिख रहे हैं तो एक और सुनो

शहरों में अक्सर घर बेच कर मकान लिया करते हैं,
कुत्ते बिल्लियों में इंसान लिया करते हैं।  
रिश्ते तो बस अब हंसने पीने की ख्वाहिश है, 
खंजर तो अब तोहफों में दिया करते हैं।  
हम वहीँ हैं, बस दुनिया बदली सी लगती है,
आखिर चश्मे भी तो दुकानों से लिया करते हैं?

Tuesday, June 17, 2025

बहुत दिनों एक और सुनो

खता क़िस्मत की, सजा मुझे?
कैसी साझेदारी, सारा नफ़ा तुझे?
किसी और की आँखों से मेरी तस्वीर बना लेना,
कलम तो दिल की चुन लेता, 
बिखरे हैं कागज़ मुड़े मुड़े!