Tuesday, June 17, 2025

बहुत दिनों एक और सुनो

खता क़िस्मत की, सजा मुझे?
कैसी साझेदारी, सारा नफ़ा तुझे?
किसी और की आँखों से मेरी तस्वीर बना लेना,
कलम तो दिल की चुन लेता, 
बिखरे हैं कागज़ मुड़े मुड़े!


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