नज़र से हट गयी तो क्या? नज़रिया अब भी अवधी है।
अलामत हो कहीं की भी, हिकायत अब भी अवधी है।
सुनो ऐ लखनऊ को सुनने वालों -
यहाँ आकर तो देखो, इनायत अब भी अवधी है ।
अलामत हो कहीं की भी, हिकायत अब भी अवधी है।
सुनो ऐ लखनऊ को सुनने वालों -
यहाँ आकर तो देखो, इनायत अब भी अवधी है ।
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