Thursday, July 20, 2017

एक और सुनो

हो सकता है कि तुम हो सही -

ऐसा नहीं कि मैं ग़लत था,
पर जब हो चीज़ें बिगड़ी बिगड़ी,
तब जो अच्छा है, हो वही -
हो सकता है कि तुम हो सही|

मुझको दिखता है स्वार्थ तेरा,
और अपनी भी मज़बूरी,
सच रहता है हारा हारा,
शायद झूठा है यहीं कहीं -
पर हो सकता है तुम हो सही|

ये सच है की मैं ना जीता,
ये झूठ है कि मैं हारा  हूँ,
ये अंतर्द्वंद का युद्ध वही
मुझे मालूम है तुम नहीं सही-

मुझे मालूम है तुम नहीं सही|

1 comment:

sripratiksha said...

Excellent