कहने को हम बंजारे हैं,
फिर भी ठौर बदलना दुःख होता है -
फिर फिर कर ही राह बनायी,
मुड़ कर फिर भी दुःख होता है |
चलते रहने वालों का तो जहाँ थमे वो घर होता है -
छूटा हाथ चला जो संग में, छोड़ कर उसको दुःख होता है |
हम तो केवल बंजारे हैं, जहाँ थमे वो घर होता है |
फिर भी ठौर बदलना दुःख होता है -
फिर फिर कर ही राह बनायी,
मुड़ कर फिर भी दुःख होता है |
चलते रहने वालों का तो जहाँ थमे वो घर होता है -
छूटा हाथ चला जो संग में, छोड़ कर उसको दुःख होता है |
हम तो केवल बंजारे हैं, जहाँ थमे वो घर होता है |
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