Saturday, April 01, 2023

बस ऐसे ही

 मुड़े होने से पन्नों पर लिखावट कम नहीं होती
अपने हैं सभी फिर भी, शिकायत कम नहीं होती
कितने भूल करते हम, न जाने क्यों भटकते हैं?
अँधेरा हो भी मस्जिद में, इनायत कम नहीं होती|


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