Thursday, September 19, 2024

चिट्ठी जिज्जी को

सब रोते हैं तुम्हारे जाने के बाद
छुप छुप कर, मैं भी 
फूट ना पड़ें, इसलिए बात नहीं करते 
पापा भी रोते थे, छुप छुप कर 
कभी सामने नहीं 
अब पापा भी नहीं हैं 
मिली होगी ना?
क्या कहते हो एक दुसरे से?
गुस्सा करती हो? अभी भी?
मुझ पर क्यों नहीं किया?
मतलबी क्यों नहीं थी तुम?
मेरी तरह, छुप छुप कर?



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