Tuesday, July 10, 2007

Godfather in Gorakhpuri

Not for my English friends. WTH, its not for all of my Indian friends either. The story is in a local dialect we call Gorakhpuri or simplified bhojpuri. Here it goes:

एक थो एकदम्मे बड़ा माइकल कहिके गुंडा रहल. एकदम्मे टॉप का गुंडा. बहुते पैसा, पॉवर बंगला गाड़ी रहल उहके पास. खुदा सब दिहले राहिलें पर ऊ एक बिटवा चाहत रहा. बिटिया रहिल पर ओकरे मन में ई खटका हमेशा रहत रहा की ई सब जमीन जैदाद के समल्हिये? बिटिया एक दम्मे बौड़म. कुछ जानत वानत नहीं रही दुनिया दरी के बारे माँ, बस एक लोफ़र टाइप के लर्कवे से मुहब्बत करत रही. पर उकरे दुश्मंवे सार चुप थोड़े ही रहले. ऊ पूरा परिवार निकलत रहा पूजा पाठ करिके, फिर ऊ गोली ऊ बारूद चला की का बतैयें. मैकलवा तो झुक के बच गईल, बिटिया के मालूमे नहीं चला की का होवत रहा, बस गोली लाग गई और ऊ तो वहीँ ढेर. ओकरे बाद माइकल ऐसन रोवा की का कहें. बाकी मंनैवे भाग लीहन, ई उधर ऊ उधर. ऊ लरकावा भी गोली निकार दौड़े लगा पर सब भाग गइलें गाड़ियाँ से एइल रहलें. एकरा पूरे खन्दन्वेइ सार गोली बारूद गुंडा गर्दी में रहलें. ओहका बाप भी बहुते टॉप का बदमाश रहा. बुढ़ा गैएइल रहा फिर भी सार बतावत रहा बिटवा के की का करत चाही का नाही. ऊ तो शुर्वात्ते में कट-पीस बेचत रहा गली गली. और ऐसन भइल एक दिन की एक मोहल्ला में रहत रहा भाई करके, ऊ हफ्ता वाफ्ता वसूलत रहा सबसे. ई बेचत रहा कपड़ा की इहके मिलल ऊ और पुछलस काहें पैसा वैसा नाही भिजवात रहा टाइम पे. पर ई तो एक दम्मे गरम मिजाज. पैसा वैसा बाद माँ ई तो ओकरे ही गोली दाग दिहिस. फिर का? सब बड़े भैयी बड़े भाई हो गैयिलें. एक्कै अंतर रहा ईहमे और उहके बपवा माँ, बपवा सार मानत रहा भाई, दोस्त. लइकवा त सबके मर दर्लस। न भैयी देख्लाल न बंधू, जेके मन से उतर्लस बस ठोंक दिहिस. यी पाप कहाँ जाई भैया? सब उहके बिटिया के मिलल.

No comments: