Saturday, June 16, 2012

एक कविता

कोई वृक्ष चीखे न चीखे, बादल दर्द जान लेते हैं।
ढँक लें कितना ही पत्ते, पंछी दरख़्त पहचान लेते हैं।
कुछ प्रेम ऐसे हैं जिन्हें करना नहीं पड़ता,
न दिख कर भी कुछ लोग हाथ थाम लेते हैं।

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