Wednesday, February 03, 2016

अतिथि देवौ भवः

हिन्दू परंपरा में अतिथि को देव या ईश्वर कहा गया है। लेकिन अतिथि कौन है? अतिथि मेहमान नहीं है। अगर आप किसी समारोह के लिए अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को आमंत्रण दें तो हम यह कहते ज़रूर हैं की ये मेरे अतिथि हैं लेकिन तिथि तो हमने पहले से ही तय कर दी तो वो अ-तिथि कैसे हो सकते हैं? 

अतिथि तो वो हुआ जो तिथि देख के ना आये, खुद ही आ जाए और जो खुद आ जाए वही तो ख़ुदा है।

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