Wednesday, October 17, 2012

अहा, शायरी सुनिए

शायर अकील नोमानी ने लिखा है: 
पायेदारी क्या कि बस इक ही लहर से गिर गए ,
कुछ मकाँ सैलाब की झूँठी खबर से गिर गए।


अब मैंने कुछ और बढ़ाया:
सुकूत के बल पे मेरे ऐवान में तुम थे मकीं,
अल्फ़ाज़ तेरी सुन के अब मेरी नज़र से गिर गए।

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